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Tuesday, August 4, 2015

जीवन मूल्यों का ह्रास भ्रष्टाचार को जन्म देता है: दिनेश मुनि

जीवन मूल्यों का ह्रास भ्रष्टाचार को जन्म देता है: दिनेश मुनि
शिर्डी जैन स्थानक में सलाहकार दिनेश मुनि की धर्मसभा आयोजित
शिर्डी - 4 अगस्त 2015।
श्रमण संघीय सलाहकार दिनेश मुनि ने कहा कि नैतिकता धर्म की बुनियाद है। धार्मिक होने के लिए लिए नैतिक होना पहली शर्त है। अधर्म और अनीति सदैव साथ चलते हैं। धर्म तो नैतिकता के बिना कभी प्रगति नहीं करता। यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि लोग रात-दिन धर्म-उपासना के लिए भागदौड़ करते हैं, लेकिन नैतिक बनने या नैतिक रहने की भी चिंता नहीं करते। नैतिकता के बिना जीवन की सुचिता संभव नहीं है। फिर धर्म मनुष्य के लिए कैसे कल्याणकारी बन सकता है। वे मंगलवार 4 अगस्त 2015 को धर्म नगरी ‘शिर्डी’ जैन स्थानक में चातुर्मासिक प्रवचन के तहत आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
मुनिश्री ने आगे कहा कि आज असली के बजाय नकली अधिक चमकदार लग रहा है। जहां देखो वहां झूठ, चोरी, बेईमानी, मिलावट विश्वासघात आदि का ऐसा साम्राज्य फैला है कि विश्वस कर पानी मुश्किल हो गया है। इस दौर में सभी बेहद परेशान हैं, लेकिन नैतिकता का आंदोलन चलाने को कोई आगे नहीं रहा। जीवन मूल्यों का ह्रास भ्रष्टाचार को जन्म देता है। नैतिकता की साधना के बगैर जीवन का शांति नहीं मिल सकती। सलाहकार दिनेश मुनि ने सभी को झकझोरते हुए कहा कि नैतिकता में अदभुत शक्ति है। बड़ी से बड़ी संपदा और साम्राज्य भी नैतिकता के समक्ष फीके लगते हैं। हमारा दुर्भाग्य है कि हमारी गलत इच्छाएं हमें बर्बाद कर रही हैं। हमारी सोच इतनी नीचे गर चुकी है कि हम अपने हित-अहित का भी ठीक से नहीं सोच पा रहे है। वरना नैतिकता की शक्ति के सामने कोई जीत नहीं सकता। अफसोस है कि आज शेयर बाजार का इंडेक्स तो ऊपर जा रहा है, लेकिन जीवन में नैतिकता का इंडेक्स निरंतर नीचे गिरता जा रहा है। आज का इंसान यह समझ नहीं पा रहा कि पाए हुए धन के बजाय कमाया हुआ धन महत्वपूर्ण और स्थाई होता है।
डॉ. व्दीपेन्द्र मुनि ने कहा कि ‘सुखविपाक सूत्र’ के माध्यम से बताया कि राजा के पांच धर्म होते हैं और प्राचीन समय में दंड व्यवस्था किन किन प्रकारों की थी, जानकारी से अवगत कराया। डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि ने कहा कि कमियां सब में होती हैं। खुद का आंकलन कर और बदलने की कोशिश करें।

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