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Tuesday, August 4, 2015

जग की माया ,बादल छाया !


जग की माया ,बादल छाया !
करले अन्तर ज्ञान ,
जीवन सफल बना ,
धरले प्रभु का ध्यान !
पानी के बूंद -बूंद ज्यों ,
जग के सपनें मिटते है !
रंग -रंगीली माया से वे ,
तुझको छलते रहते है !
तू धरले प्रभु का ध्यान !
कर आत्मिक उत्थान !
कर समता रस का पान !
तू जीवन सफल बना अपना !
अरे इंसान तू लगाले ध्यान !!!!!

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