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Saturday, August 1, 2015

वीरशासन जयंती की आप सभी को मंगल शुभकामनाये


🙏 शुभ प्रभात🙏🌞
वीरशासन जयंती की आप सभी को मंगल शुभकामनाये
आज भगवान् महावीर स्वामी की प्रथम दिव्य देशना निश्रित हुई थी।
🙏महावीर स्वामी की जय
🙏गौतम स्वामी की जय
🚩🌹वीरशासन जयंवन्त हो🌹🚩
भगवान महावीर को केवलज्ञान उत्पन्न हुए 66 दिन बीत गये परन्तु उनकी दिव्यध्वनि नहीं खिरी। सौधर्मइन्द्र ने विचार किया कि गणधर का अभाव ही इसका कारण है। इन्द्र ब्राह्मण का वेश धरकर ब्राह्मण गाँव के इन्द्रभूति गौतम नामक प्रकाण्ड ज्ञानी ब्राह्मण के पास उनके आश्रम में आये एवं युक्तिपूर्वक उनसे कुछ प्रश्न पूछा, गौतम उन प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाये, अत: बोले कि मैं तुमसे इस विषय में बात ना करके तुम्हारे गुरु महावीर के पास चलकर ही वाद-विवाद करूँगा। इस प्रकार इन्द्र उन्हें भगवान महावीर के समवसरण में ले आये।
जैसे ही इन्द्रभूति ब्राह्मण अपने 500 शिष्यों के साथ राजगृही के विपुलाचल पर्वत पर स्थित भगवान के समवसरण में पहुँचा, उसका सारा मान भंग हो गया और वह तुरंत जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण कर महावीर के प्रथम गणधर बन गये। उसी समय केवलज्ञान होने के 66 दिन बाद श्रावण कृष्णा एकम के दिन भगवान महावीर की प्रथम दिव्यध्वनि खिरी और तब से ही यह दिवस ‘वीरशासन जयंती दिवस’ के रूप में प्रसिद्ध हो गया। भगवान की दिव्यध्वनि 718 भाषाओं में खिरती थी जिससे प्रत्येक प्राणी अपनी-अपनी भाषा में भगवान की देशना ग्रहण कर लेते थे। इन्द्रभूति गौतम गणधर ने भगवान की दिव्यध्वनि को द्वादशांगरूप में निबद्ध किया


1- वीरशासन अर्थात स्वानुभूति ।
2- वीरशासन अर्थात सुख का शासन ।
3- वीरशासन अर्थात वीतरागता का पोषण ।
4- वीरशासन अर्थात समता का शासन ।
5- वीरशासन अर्थात मोह-राग-द्वेष का नाश ।
6- वीरशासन अर्थात मुक्ति का वेदन ।
7- वीरशासन अर्थात चार अनुयोगमयी जीवन ।
8- वीरशासन अर्थात आत्मानुशासन ।
9- वीरशासन अर्थात पाप रहित शासन ।
10- वीरशासन अर्थात वस्तु स्वतंत्रता ।
11- वीरशासन अर्थात कर्त्ता-भोक्तापने का अभाव ।
12- वीरशासन अर्थात स्व में पर के और पर में स्व के स्वामित्व का अभाव ।

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