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Thursday, July 30, 2015

नेपाल के गढ़ीमाई मंदिर में पशुबलि पर लगी रोक

#‎Victory‬ ‪#‎Gadhimaitemple‬ ❖ नेपाल के गढ़ीमाई मंदिर में पशुबलि पर लगी रोक -2009 में गढ़ीमाई मंदिर में 5 लाख से ज्यादा बैलों, बकरियों, मुर्गों और दूसरे जानवरों की बलि दी गई थी - 2019 के मेले का रक्तरहित आयोजन सुनिश्चित कर सकते हैं और 2019 के गढ़ीमाई मेले को जीवन के उत्सव का प्रतीक बना सकते हैं।' ❖
नेपाल के गढ़ीमाई मंदिर में दी जाने वाली लाखों पशुओं की बलि पर रोक लग गई है। गढ़ीमाई मंदिर ट्रस्ट ने मंगलवार को इस पशुबलि पर रोक लगाने की घोषणा की। इस मंदिर में हर पांचवें साल में होने वाली पूजा में लाखों पशुओं की बलि दी जाती है।
यह दुनिया का सबसे बड़ा पशुबलि मेला है। मंदिर ट्रस्ट ने लोगों से भी अपील की है कि वे पूजा में पशु लेकर न आएं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबित पशुबलि की यह प्रथा करीब 300 सालों से चल रही है। हालांकि, भारत समेत दुनिया भर के लोगों ने पिछले साल हुई पशुबलि पर रोक लगाने की मांग की थी।
गढ़ीमाई मंदिर में अगली पूजा 2019 में होनी है। मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन राम चंद्र शाह ने कहा, 'ट्रस्ट पशुबलि पर रोक लगाने की औपचारिक घोषणा करता है। आपके सहयोग से हम 2019 के मेले का रक्तरहित आयोजन सुनिश्चित कर सकते हैं और 2019 के गढ़ीमाई मेले को जीवन के उत्सव का प्रतीक बना सकते हैं।'
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इस त्योहार के लिए भारत से नेपाल जाने वाले पशुओं पर रोक लगाने का आदेश दिया था। भारत और नेपाल के पशु अधिकार संगठन लंबे समय से बलि पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे। शाह ने कहा, 'कई पीढ़ियों से भक्त बेहतर जीवन के लिए पशुओं की बलि चढ़ाते आए हैं। हर बलि से हमारा हृदय दुख से भर जाता है। अब एक पुरानी परंपरा को बदलने का समय आ गया है। अब हिंसा और बलि के बजाए शांतिपूर्वक पूजा करने और उत्सव मनाने का समय आ गया है।'
2014 में ह्यूमन सोसाइटी इंटरनैशनल- इंडिया और एनीमल वेलफेयर नेटवर्क नेपाल (AWNN) ने गढ़ीमाई मंदिर में होने वाली इस बलि के विरोध में एक वैश्विक अभियान चलाया था। इसे दुनिया भर के लोगों का समर्थन भी मिला था।
पीपल्स फॉर एनीमल्स (PFA) की ट्रस्टी गौरी मुखर्जी ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट में इस पूजा के लिए भारत से नेपाल जाने वाले पशुओं पर रोक लगाने की अपील की थी। इस रोक पर गौरी का कहना है, 'यह एक बड़ी जीत है। इससे अनगिनत जानवरों की जान बचाई जा सकेगी। हम मंदिर कमिटी की प्रशंसा करते हैं, लेकिन अभी लोगों को इस बारे में शिक्षित करने का काफी अहम काम बाकी है।'
माना जाता है कि 2009 में गढ़ीमाई मंदिर में 5 लाख से ज्यादा बैलों, बकरियों, मुर्गों और दूसरे जानवरों की बलि दी गई थी, लेकिन 2014 में इस संख्या में कमी आई थी। सुप्रीम कोर्ट के जानवरों को भारत से नेपाल जाने से रोकने के आदेश के बाद करीब 100 लोगों को अरेस्ट किया गया था।
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