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Sunday, July 26, 2015

निहार कर छवि जिनेन्द्र देव की

निहार कर छवि जिनेन्द्र देव की
खुद को देख लेना
नश्वर सा लगेगा सब कुछ 
कभी चिंतन करके देख लेना
पराकाष्ठा त्याग की जब एक 
धागा भी परिग्रह लगता हे
कभी कमंडल पिच्छी वाले
चलते फिरते सि द्धो के संग रह कर
देख लेंना
आसान हे जन्म से जैन बन जाना
कभी आचरण से जैन बनने की कोशिश
करके भी देख लेना

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