Ad

Sunday, August 9, 2015

पुष्टि पुरुषोत्तम की सेवा में इन तीन के बिना सेवा अधुरी है।

पुष्टि पुरुषोत्तम की सेवा में इन तीन के बिना सेवा अधुरी है।
1- झारी-चरणस्पर्श
2- माला-बीडा
3- श्रीगार-सामग्री।
1- प्रथम झारी जी को स्वरुप जाने झारी जी, बालभाव में श्री यशोदाजी को स्वरुप है,दुसरो श्री यमुनाजी को स्वरुप है,जो लाल वस्त्र है वो श्रीयमुनाजी की ओढ़नी है, तीसरो झारीजी याने वैष्णव को हृदय और जल यानि भाव-प्रेम है; वाके द्वारा ही पुष्टिजीव वैष्णव श्रीठाकुरजी कों लाड लडावेहै।
और चरणस्पर्श करिवे सुं दिनता आवे भाव-प्रेम में वृद्धि होय,
2-दुसरो माला - बीडा-सामग्री, जो वैष्णव पुष्टिप्रभुन की सेवा कर रह्यो हैं,वह श्रीगार समय में पुष्पमालाजी अवश्य धरावे यासुं वृजगोपीजन प्रसन्न होय तो श्रीठाकुरजी भी प्रसन्न होय,बीडा आरोगायवे सों श्रीयुगलस्वरुप पुष्टिजीव के उपर प्रेमाद्रष्टिसों निहारि अधरसुधारस दान करे हैं,
3- श्रीगार -वो समय को नाम है,वासमय फूलेलश्रीअंगमें धरावनो, स्नानादि करवाने,अंगवस्त्र करनो,प्रणालिकानुसार "आभरण-आभूषण"चरणारविंद सों श्रीमस्तक तक आभरण धरावे,फिर श्रीठाकुरजी कों पुष्पमाला सुंदर बनाय आरसी-दर्पण दिखावे,वो समय श्रीगार समय है।
और सामग्री दुध घर, अनसखड़ी, नागरी,और सखडी सुंदर सिद्ध करी अपने श्रीठाकुरजी कों धरावे!
या प्रकार झारी चरणस्पर्श,माला बीडा-श्रीगारसामग्री को भाव जानी श्रीठाकुरजी के सन्मुख रहे,तो श्रीमहाप्रभुजी की आज्ञा को पालन करतो भयो सदा रहे। इतिश्री दामोदरदास विरचितं अष्टम वचनामृत संपूर्ण ।

No comments:

Post a Comment