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Friday, August 21, 2015

संथारा पर फैसले का विरोध सभी को करना है। जैन धर्म की रक्षा करने अब जीना या मरना है

जय जिनेंद्र 🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔🔔


सिसक रही सत्य अहिंसा 
अपने ही गलियारों में।
धर्म पर प्रहार किया 
कानून के रखबालों ने।।
भूल गए भागवान राम को
भूल गए सीता मैया।
धर्म की रक्षा की खातिर
जो समा गयीं धरती मैया।।
याद करो उस राजा को
सामूहिक भोज कराया था।
जैन दिगम्बर मुनिवर को
निमन्त्रण भिजवाया था।।
पर मोक्ष मार्ग के आराधक
तप चर्या में तल्लीन रहे।
सम्मान पूर्वक मना किया
आत्मकल्याण में लींन रहे।।
तब राजा ने उपसर्ग किया
बेडियो में जकड़ दिया।
मोक्ष मार्ग के आराधक को
काल कोठरी बन्द किया।।

एक नहीं थे अड़तालीस
अड़तालीस के अंदर थे।
इतने कारागारों में भी
मुनि दिगम्बर तपरत थे।।

वो आचार्य माणतुँगाचार्य जी
भगवान का स्मरण किये।
अड़तालीस कारागार के अंदर
भक्ताम्बर को रचित किये।।
तो टूट गई सब बेड़िया
और टूट गए सारे ताले।
भक्ताम्बर की रचना से
उपसर्ग वो हटा डाले।।
तब चरणों में आकर राजा
अपनी गलती पर रोया था।
आचार्य मानतुंगाचार्य के आगे
क्षमा मांगते रोया था।।
इतिहास उठाकर देखलो
धर्म कभी न हारा है।
रामायण काल में राक्षसों से
न कोई तपस्वी हारा है।।
धर्म अध्यात्म को रोक सके
ऐसी कोई दीवार नहीं।
मोक्ष मार्गी को रोक सके
ऎसी कोई दीवार नहीं।।
अच्छा हुआ ऐसा कानून
न था रामायण कॉल में।
वरना आज रामजी होते
कानून के इस जाल में।।
अच्छा हुआ ये कानून न था
माता सीता के समकाल में।
धरती फ़टी सत्य तप से
ये आत्महत्या बोलते काल में।।
इसलिए कहता है सुरेन्द्र
आज धर्म पर हुआ है वार।
सत्य अहिंसा सिसक रही
मोक्ष मार्ग पर हुआ प्रहार।।
मोक्ष मार्ग पर फेंके पत्थर
मिलकर हमे हटाना है।
धर्म पर कानून का वार
खाली ही लोंटाना है।।
धर्म की रक्षा की खातिर
सत्य अहिंसा शान्ति से।
आत्मकल्याण की रोक हटाये
सत्य अहिंसा शान्ति से।।
तारीख अगस्त चोबीस को
भारत बन्द को सफल बनाओ।
स्कुल दूकान व् ड्यूटी पर
इस दिन कोई जैन न जाओ।।

अपने अपने गाँव शहर में
जुलुस निकालकर जाना है।
मुख्य मार्गो से होकर सबको
ज्ञापन देने जाना है।
संथारा पर फैसले का
विरोध सभी को करना है।
जैन धर्म की रक्षा करने
अब जीना या मरना है।।

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