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Thursday, July 30, 2015

किसी ने पूछा की तुम लोग पूजा करते हो और तुमहारे गुरु महाराज पूजा क्यों नहीं करते ?



किसी ने पूछा की तुम लोग पूजा करते हो और तुमहारे गुरु महाराज पूजा क्यों नहीं करते ?
साधु साध्वी जी सर्व विरति होते हैं यानि सभी प्रकार की हिंसा के त्यागी । कच्चे पानी के स्पर्श से , फूल को चढाने से थोड़ी तो हिंसा होती ही है ।
हम श्रावक श्राविकाएं देशविरति हैं यानि प्रमुख / स्थूल हिंसा के त्यागी । जिस कम हिंसा से हमारे भावों में अत्यधिक वृद्धि हो , ऐसी स्वरूपी हिंसा हमको मान्य है ।
हम भी जब सामायिक करते हैं या प्रतिक्रमण पौषध करते हैं तो हम भी कच्चे पानी का स्पर्श - फूल का स्पर्श नही करते । साधु साध्वी जी भी तो आजीवन सामायिक में ही रहते हैं ।
दूसरा और महत्त्वपूर्ण कारन । पूजा क्यों करते हैं ?ताकि हमारा सम्यग् दर्शन मज़बूत हो , प्रभु पर हमारी श्रद्धा मज़बूत हो । इसलिए हम द्रव्य चढ़कर पूजा करते हैं ।
जिसकी आँखे ठीक हैं , क्या वो चश्मा पहनेगा ? जिसकी सेहत सही है वह दवाई क्यों लेगा ? साधु साध्वी जी का सम्यग् दर्शन तो हमसे कहीं अधिक है । उन्हें परमात्मा से जुड़ने के लिए द्रव्यों की आवश्यकता नही रहती ।
हम परिग्रही हैं। हमार अपने धन से बहुत मोह है। हमें खाने से बहुत मोह है । हममे वो शीतलता नही है । आत्म कल्याण के भाव नही है । साधु साध्वी जी तो सब द्रव्यों को छोड़कर ही दीक्षा लेते हैं । अतः वे पुनः द्रव्य पूजा क्यों करेंगे ?
हाँ !भाव पूजा यानि चैत्यवन्दन -प्रभु की स्तुति - स्तवना -प्रभु से एकमेक होना । ये भाव पूजा तो साधु साध्वी जी भी करते हैं । हम श्रावकों को द्रव्य एवं भाव -दोनों पूजाओं के अधिकारी हैं जबकि साधु साध्वी जी द्रव्य पूजा नही करते ,केवल भाव पूजा करते हैं


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